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बदायूं-: मसालों की खेती से प्रदेश के किसानों की आय में हो रही वृद्धि, भारत विश्व में मसालों का सबसे बड़ा उत्पादक, उपभोक्ता एवं निर्यातक देश।

मसालों की खेती से प्रदेश के किसानों की आय में हो रही वृद्धि।

भारत विश्व में मसालों का सबसे बड़ा उत्पादक, उपभोक्ता एवं निर्यातक देश।

उत्तर प्रदेश, बदायूं-: भारत प्राचीन काल से ही मसालों की भूमि के नाम से जाना जाता रहा है। मसाला एक लो वॉल्यूम एवं हाई वैल्यू वाली फसल है। अंतर्राष्ट्रीय मानक संगठन के अनुसार विश्व के विभिन्न भागों में 109 से अधिक मसाला प्रजातियों की खेती की जाती है। भारत में भी विभिन्न प्रकार की मृदा एवं जलवायु होने के कारण 20 बीजीय मसालों सहित कुल 63 मसाला प्रजातियां उगाई जाती है। भारत विश्व में मसालों का सबसे बड़ा उत्पादक, उपभोक्ता एवं निर्यातक देश है। भारत के कुल मसाला उत्पादन का 80 से 90 प्रतिशत घरेलू माँग की पूर्ति में उपयोग होता है तथा उत्पादन का शेष भाग विश्व के लगभग 130 देशों में निर्यात होता है। प्रदेश के किसानों की आय दोगुनी करने में मसालों की फसलें काफी लाभप्रद एवं सहायक सिद्ध हो रही है।

वर्तमान में भारत में मसालों का उपभोग 3.25 किलोग्राम प्रति व्यक्ति प्रतिवर्ष है, जिसमें परिवार के कुल खाद्य का 4.4 प्रतिशत खर्च होता है। कुल कृषि निर्यात में मसालों की हिस्सेदारी 06 प्रतिशत है। उत्तर प्रदेश में किसानों को उत्पादकता बढ़ाने हेतु उन्नतशील बीज, उन्नत कृषि तकनीक के साथ साथ मसालों पर शोध एवं किसानों को प्रशिक्षण देते हुए मसाला उत्पादन में बढ़ोत्तरी की जा रही है। जिससे किसानों की आय में वृद्धि हो रही है।

हल्दी का कृमिनाशक गुण एवं पीलापन इसमे उपस्थित तत्व करक्यूमिन के कारण होती है। इसकी खेती के लिए गर्म एवं नम जलवायु के साथ साथ जीवाश्म युक्त दोगट एवं बलुई दोमट मृदा सर्वाेत्तम रहती है। अदरक उत्पादन में भारत विश्व में सबसे आगे है। अदरक का प्रयोग मसाले औषधीय तथा सामग्री के रूप में हमारे दैनिक जीवन में वैदिक काल से चला आ रहा है। लहसुन भी किसानों को एक अधिक आय देने वाली महत्वपूर्ण मसाले की फसल है इसके रोजाना प्रयोग करने से पाचन क्रिया में सहायता एवं मानव रक्त में कोलेस्ट्राल की भी कमी होती है।

मिर्च एक सर्वाधिक निर्यात की जाने वाली मसाला की फसल है, जिसका उपयोग प्रत्येक घरों में हरी एवं सूखी दोनों रूप में किया जाता है। मेथी का प्रयोग सब्जियों एवं खाद्य पदार्थों में किया जाता है। प्रदेश में इनका मूल वर्धित उत्पाद बनाकर स्वरोजगार के साथ-साथ ग्रामीण एवं शहरी श्रमिकों को भी मसाला उद्योग में रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है। मसाला फसलें शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में स्वरोजगार एवं अधिक आय के सुअवसर प्रदान करने के कारण अत्यधिक आर्थिक समृद्धि का एक प्रमुख जरिया है, जिससे मसालों की खेती भारतीय अर्थव्यवस्था में और अधिक महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रही है।

डेस्क- राष्ट्रीय न्यूज टुडे।

 

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