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लखीमपुर खीरी-: दुधवा में पर्यटकों को लुभा रही तितलियां। 

दुधवा में पर्यटकों को लुभा रही तितलियां। 

उत्तर प्रदेश, लखीमपुर खीरी-: जिले के इंडो नेपाल बॉर्डर पर मौजूद दुधवा टाइगर रिजर्व जहां विभिन्न प्रकार के वन्य जीवों की खान है। जिनके दीदार करने के लिए देश विदेश से पर्यटक दुधवा पहुंचते हैं । लेकिन इस सत्र में पर्यटकों को इस बार रंग बिरंगी मनमोहक तितलियों के दीदार बखूबी हो रहे हैं इसको देखकर पर्यटक अपनी खुशी का इजहार करते नजर आ रहे हैं ।

गौरतलब है कि जहां पूरे भारत में तितलियों की 1500 के करीब प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें से दुधवा टाइगर रिजर्व में लगभग 45 प्रजातियां पाई जाती है।देखा जाए तो तितलियां हमेशा से ही रुचि का विषय रही हैं और वे शायद पक्षियों के बाद अपनी लोकप्रियता में दूसरे स्थान पर हैं। तितलियों के रंग, आदतों और आकार में बहुत भिन्न होती हैं। वहीं जानकारी देते हुए दुधवा टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर डॉक्टर रंगा राजू टी ने बताया की हाल ही में बायोलॉजिस्ट और वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर के सहयोग से तितलियों की गणना की गई थी जिनमें 160 के लगभग प्रजातियां पाए जाने का दावा किया गया था दुधवा में अधिकतर पाई जाने वाली सबसे बड़ी तितली, दक्षिणी इरडविंग का पंख फैलाव 19 सेमी तक होता है, जबकि सबसे छोटी ग्रास ज्वेल का पंख फैलाव 1.5 सेमी होता है। तितली एक पंख वाला कीट है जो फ़ाइलम आर्थ्रोपोडा, क्लास इन्सेक्टा और ऑर्डर लेपिडोप्टेरा से संबंधित है।

तितलियों के पंख छत की तरह व्यवस्थित छोटे तराजू से ढके होते हैं। सुरक्षात्मक अनुकूलन सभी अवस्थाओं में तितलियां शिकारियों द्वारा हमले की संभावना का सामना करती हैं। अपने दुश्मनों से बचने और खुद को बचाने के लिए, तितलियों ने कैटरपिलर अवस्था से ही कई तरह के उपकरण विकसित किए हैं। ज़्यादातर कैटरपिलर हरे और भूरे रंग के होते हैं, जो उन्हें उनके खाद्य पौधों के बीच छिपा देते हैं।

बाइट- रंगा राजू टी, डिप्टी डायरेक्टर दुधवा टाइगर रिजर्व।

 

रिपोर्ट- मोहम्मद असलम, लखीमपुर खीरी।

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