जन अधिकार पार्टी ने बंद सरकारी स्कूलों को पुनः खोलने की मांग की, राष्ट्रपति को सौंपा ज्ञापन।
मोहम्मद वसीम, संवाददाता
बरेली। उत्तर प्रदेश में सरकारी प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों को बंद करने की राज्य सरकार की नीति के खिलाफ जन अधिकार पार्टी ने मोर्चा खोल दिया है। पार्टी के कार्यकर्ताओं ने राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन सिटी मजिस्ट्रेट को सौंपते हुए मांग की कि बंद स्कूलों को पुनः खोला जाए ताकि गरीब और वंचित वर्ग के बच्चों को शिक्षा से वंचित न होना पड़े।
ज्ञापन में कहा गया है कि प्रदेश सरकार ने 50 से कम छात्र संख्या वाले लगभग 27,200 विद्यालयों को या तो बंद कर दिया है या उन्हें आस-पास के स्कूलों में मर्ज किया जा रहा है। इससे विशेषकर ग्रामीण क्षेत्र के गरीब, किसान और मजदूर वर्ग के बच्चे प्रभावित हो रहे हैं जिन्हें अब 2 से 5 किलोमीटर दूर स्थित स्कूलों में जाना पड़ रहा है।
पार्टी के जिला अध्यक्ष देवराज सिंह राजपूत ने आरोप लगाया कि यह फैसला “शिक्षा का अधिकार अधिनियम” और अनिवार्य शिक्षा नीति का सीधा उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि यदि सरकार इन विद्यालयों में योग्य शिक्षकों की नियुक्ति और बुनियादी अधोसंरचना उपलब्ध कराए, तो छात्र संख्या में स्वतः वृद्धि हो सकती है और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार संभव है।
सरकार का तर्क है कि विद्यालयों के एकीकरण से संसाधनों का बेहतर उपयोग संभव होगा और बच्चों को बेहतर शिक्षण वातावरण मिलेगा। लेकिन इस नीति का विरोध लगातार तेज होता जा रहा है और मामला हाईकोर्ट से होते हुए सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है।
इस मुद्दे पर आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और बसपा ने भी जन अधिकार पार्टी का समर्थन किया है और सरकार से नीति पर पुनर्विचार करने की मांग की है। जन अधिकार पार्टी ने चेतावनी दी है कि यदि विद्यालयों को पुनः नहीं खोला गया, तो प्रदेशव्यापी आंदोलन छेड़ा जाएगा।
ज्ञापन सौंपने के दौरान अंजू राजपूत, शंकर लाल, ऋषिपाल सिंह और देवेंद्र सहित कई कार्यकर्ता मौजूद रहे।
बाइट- देवराज सिंह राजपूत जिला अध्यक्ष जन अधिकार पार्टी बरेली।