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बदायूं/सहसवान:- आफत की पुड़िया, झोलाछाप डॉक्टरों की मौज, कर रहे ज़िंदगियों से खिलवाड़, बिना डिग्री के हर छोटी बड़ी बीमारी का कर रहे इलाज।

(उत्तर प्रदेश) बदायूँ/सहसवान:- जहा केंद्र और राज्य सरकार स्वास्थ्य विभाग की सुविधाओं को बढ़ाने के लिए प्रति दिन नई-नई सुविधा बढ़ा रही है वही क्षेत्र में झोला छाप डॉक्टरों की भरमार है। झोला छाप डॉक्टर आये दिन भोली भाली जनता से अच्छा खासा पैसा भी ऐंठते है जब बात उनकी पकड़ से दूर होती है तब नगर के कुछ निजी चिकित्सालयों में ऐसे मरीजों को रेफर कर देते है जहा से उनका कमीशन निर्धारित रहता है। साथ ही कभी-कभी इन चिकित्सकों की लापरवाही के चलते कई मरीज अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं तो कुछ लोग विकलांग तक बन जाते हैं। क्षेत्र में खासतौर पर ग्रामीण अंचल भवानीपुर, नदायल, हिंडोर, बाजपुर, चमनपुरा, हरदत्तपुर, डकारा, समदा, सिरकी दम्मू सहित दर्जनों ग्रामों में भारी तादात में झोला छाप डॉक्टरों की भरमार है। बात की जाय नगर की तो नगर की गली मोहल्लों में संचालित झोलाछाप डॉक्टरों की दुकानों पर गांवों से आने वाले मरीजों का इलाज किया जा रहा है।
गली मोहल्लों में संचालित क्लीनिकों पर झोला छाप डॉक्टर नब्ज देखकर ही दवाइयां देना शुरू कर देते हैं‍। जिससे मरीजों के जीवन से खिलवाड़ हो रहा है। कस्बे में कई अवैध पैथोलॉजी लैब भी संचालित हैं, जिनके खिलाफ स्वास्थ्य विभाग ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है। स्थिति यह है कि इनके पास न कोई डिग्री है न कोई इलाज करने का लाइसेंस है फिर भी यह लोगों का इलाज कर रहें है। यह सब स्वास्थ्य विभाग की अनदेखी एवं निष्क्रियता को सामने लाता है। जब झोला छाप डॉक्टर्स के इलाज से मरीज के साथ कोई घटना घटित होती है। तब शासन प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग जागता है। उसके बाद कार्रवाई करने की बात की जाती है और पंजीकृत अपंजीकृत डॉक्टर्स की सूची तैयार की जाती है।
कंपाउंडरी करने के बाद खोल लेते हैं क्लीनिक।
मेडिकल साइंस व दवाओं के बारे में जानकारी न होने के बाद भी झोला छाप हर मर्ज का शर्तिया इलाज करने का दावा करते हैं। इलाज कराने वाले लोगों को फायदा तो नहीं होता बल्कि उनका मर्ज और बढ़ जाता है। कुछ ऐसे झोला छाप भी हैं जो बड़े डॉक्टरों के नर्सिंग होम में कुछ दिन कंपाउंडरी करने के बाद से ही क्लीनिक चला रहे हैं।
बिना लाइसेंस के रखते हैं दवाओं का स्टॉक।
झोला छाप डॉक्टरों द्वारा बिना ड्रग लाइसेंस के दवाओं का भंडारण एवं विक्रय भी किया जाता है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग कार्रवाई नहीं करता। इन डॉक्टरों की कमाई मौसमी बीमारियों के फैलने से अधिक होती है। मरीज चाहे उल्टी, दस्त, खांसी, बुखार से पीड़ित हो या फिर अन्य कोई बीमारी से, सभी बीमारियों का इलाज यह झोला छाप डॉक्टर करने को तैयार हो जाते हैं। उल्टी, दस्त, बुखार जैसी बिमारियों में वे ग्लूकोज की बोतलें चढ़ाना शुरू कर देते हैं। तो वही नगर व देहात में चल रहे मेडिकल स्टोर के संचालक भी दवाएं देते नजर आते है। जल्द ही समय रहते इन झोला छाप डॉक्टरों के विरुद्ध स्वास्थ्य विभाग को कार्यवाही करनी चाहिए।
डेस्क- राष्ट्रीय न्यूज़ टुडे।
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