जनता की जेब पर डांका और स्वास्थ्य से सरेआम खिलवाड़ कर रहे तेल माफिया।
(उत्तर प्रदेश) बदायूं/सहसवान:- यदि आप पीले रंग के किसी भी तेल को शुद्ध सरसों का तेल समझकर खरीदते आ रहे हैं तो यह खबर आपके लिए ही है। इस समय बाजार में मिलावटी सरसों का तेल धड़ल्ले से बिक रहा है। व्यापारी असली सरसों के तेल की तरह से ही एक दम पीले और चमकीले रंग का यह मिलावटी तेल उपलब्ध करा रहे है। तेल माफिया सरसों के तेल में मिलावट करके जहां लाखों में खेल रहे हैं, वहीं जनता की जेब पर डांका और स्वास्थ्य के साथ सरेआम खिलवाड़ करने से बाज नहीं आ रहें हैं। खाद्य विभाग के अफसरों की हीलाहवाली के चलते माफियाओं के हौसले बुलंद हैं। नकली मिलावटी तेल का यह खेल नगर के मुहल्ला शहवाज़पुर, सैफुल्लागंज, मोहीउद्दीनपुर, पठानटोला समेत दर्जन भर मुहल्लों में मिलावटी तेल का खेल चल रहा है। नगर के साथ-साथ देहात क्षेत्र भी पीछे नहीं हैं जहां तेल के स्पेलर की आड़ में मिलावटी तेल का गोरखधंधा चल रहा है। विदित रहे कि नगर में इस समय खाद्य तेल का काला कारोबार जोरों से हो रहा है। सरसों के तेल में मिलावट खोरी कर तेल माफिया लाखों में खेल रहे हैं। तो वहीं नगर से लेकर गांव-देहात में सरसों के तेल में राइस ब्रान तेल मिलाकर सरसों के दामों पर बेचा जा रहा है। शुद्ध सरसों के तेल से आधी कीमत पर ही पॉमआयल व राइस ब्रान (चावल के छिलके से तैयार तेल) मिलाकर कई गुना अधिक तक कमाई की जा रही है। शुद्ध सरसों के पीले रंग के लिए खतरनाक केमिकल का प्रयोग कर जनता के स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि नगर में गुपचुप तरीके से भारी मात्रा में पॉम ऑयल व राइस ब्रान तेल बाहर से मंगाया जा रहा है।
कैसे करें जांच आप इस्तेमाल कर रहे सरसों असली या नकली तेल।
सरसों के तेल की सबसे बड़ी पहचान उसकी खुशबू से की जा सकती है। दरअसल सरसों के तेल में बहुत तीखी स्मेल आती है, जबकि नकली सरसों के तेल की स्मेल इतनी स्ट्रांग नहीं होती है। सरसों के तेल की पहचान करने के लिए आप एक कढ़ाई में सरसों का तेल गर्म करें। अगर इसमें से तेज धुआं निकलने लगे तो उसकी गंध गायब हो जाती है, जबकि नकली सरसों के तेल में ऐसा नहीं होता है। यदि आप सरसों के तेल में मिलावट की पहचान के लिए आप इसका फ्रीजिंग टेस्ट कर सकते है। आप एक कटोरी में थोड़ा सा सरसों का तेल निकाल लीजिए तेल को कुछ घंटों के लिए फ्रिज में रखें और फिर इसे बाहर निकालकर देखें। अगर तेल जमा हुआ दिखाई दे या फिर सरसों के तेल में सफेद दाग दिखने लगे तो समझ जाएं कि तेल मिलावटी है।
कैसे होती है मिलावट।
नहर व देहात क्षेत्रो में स्पेलरों की आड़ में सरसों के तेल में दोगुने से तीन गुना तक की मात्रा में पॉमआयल व राइस ब्रान मिलाया जा रहा है। इसके बाद मार्केट में सप्लाई किया जा रहा है। अधिक मुनाफे के चक्कर फुटकर विक्रेता इस तेल को बिक्री कर रहे हैं। अनजान उपभोक्ता इस तेल को खरीदकर बेवजह ही विभिन्न गंभीर बीमारियों का शिकार हो रहे हैं अफसरों की हीलाहवाली के चलते तेल माफिया जिले के नगर व देहात क्षेत्रो में नकली तेल तैयार कर सप्लाई कर रहे हैं। ये नकली तेल सम्भल व चन्दौसी से मंगाया जाता है जिसकी बाजारी कीमत पॉम ऑयल का तेल 50 से 55 रुपए प्रति लीटर है, जबकि राइस ब्रान 40 से 45 रुपए प्रति लीटर है। मिलावट खोर राइस ब्रान या पॉम ऑयल में आधा से एक तिहाई तक सरसों का तेल मिलाते हैं। इन तेलों में खुशबू नहीं होती है। इसलिए सरसों के तेल की ही खुशबू देने लगता है। सरसों के पीले तेल की तरह ही दिखने के लिए इसमें एक पीला केमिकल युक्त रंग मिलाया जाता है। इसके बाद तेल को मार्केट में सप्लाई कर दिया जा रहा है। कार्यवाही नही होने के चलते नगर व देहात क्षेत्र में मिलावटी तेल का धड़ल्ले से बदस्तूर जारी है।
मिलावटी तेल से मानव शरीर को नुकसान।
मिलावटी सरसों के तेल के उपयोग से हमारी सेहत पर गंभीर दुष्परिणाम देखने को मिलते हैं। सबसे पहले जी मिचलाना और पेट खराब होना जैसी समस्या होती हैं। पेट में सूजन यहां तक कि दिल और सांस की बीमारी तथा एनीमिया का खतरा भी बढ़ जाता है। मिलावटी सरसों के तेल से बना फास्टफूड खाने से पित्त की थैली में पथरी-कैंसर का खतरा बना रहता है। बता दें सरसों तेल में मिलावट की वजह से होने वाले रोगों को ‘ड्राप्सी’ कहा जाता है। ड्राप्सी का पहला मामला सन् 1877 में पश्चिम बंगाल में सामने आया था।